हमें मालूम था अंजाम ए इश्क़ लेकिन,
जवानी जोश पर थी जिंदगी बर्बाद कर बैठे !
रफ़्तार कुछ इस कदर तेज है जिंदगी की;
कि सुबह का दर्द शाम को पुराना हो जाता है .............
कि सुबह का दर्द शाम को पुराना हो जाता है .............
६
ख़ुश्क आँखो से भी आंशुओ की महक आती है !
मैं अपने दर्द को ज़माने से छुपाउँ कैसे.......???
मैं अपने दर्द को ज़माने से छुपाउँ कैसे.......???
७
बुलंदी पे पहुँचने की दुआ किसके लिये माँगें..........?
जिसे भी सर पे चढ़ाते हैं वही शिर काट लेता है
जिसे भी सर पे चढ़ाते हैं वही शिर काट लेता है
८
कितने लोगों से गहरे रिश्ते हैं मेरे मगर,
इक तेरा ही चेहरा मेरी दुवाओं में रहा....
इक तेरा ही चेहरा मेरी दुवाओं में रहा....
९
१०
११
हौंसला रख अब मंजिल मिल ही जाएगी,
प्यासे जो चल पड़े हैं दरिया ढूंढने.........
१
कांटे तो चुभेंगे ही जो गुलाब चाहा है,
मंजिल तो मिलेगी ही जो अरमान सजाया है |
माँगा उसी से है जो देता आया है,
किस्मत तो चमकेगी ही उसे जो ध्याया है ||
जुलमत की वादियों में जो मारा- मारा फिरता हूँ,
काश् ना पकडी होती उंगली मेंने अपने साये की..!
अच्छा है कि मेरा साया साथ है,
वरना जुल्मी दुनिया में मारा- मारा फिरता...!
५)
५)
कमा के इतनी दौलत भी अपनी 'माँ' को ना दे सका !
कि जितने सिक्कों से 'माँ' मेरी नज़र उतार कर फेंक दिया करती थी ||
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